CLICK HERE FOR FREE BLOGGER TEMPLATES, LINK BUTTONS AND MORE! »

Tuesday, August 9, 2011

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र-

केयर्न इंडिया को मिला विश्व प्रतिष्ठित “सुपरब्रांड“

राजस्थान में देश का विगत दो दशकों का सबसे बड़ा जमीनी तेल और गैस के मंगला तेल क्षेत्र की खोज का तोहफा देने वाली कंपनी केयर्न इंडिया ने विश्व प्रतिष्ठित “सुपरब्रांड“ का स्तर प्राप्त कर लिया है।
गत दिनों नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केयर्न इंडिया के कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन, अफेयर्स व सी.एस.आर. निदेशक श्री मनु कपूर ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष डाँ. मोंटेक सिंह अहलुवालिया से यह सम्मान ग्रहण किया। इस सम्मान के साथ ही केयर्न इंडिया उस विशिष्ठ क्लब में सम्मिलित हो गई है, जिसमें रिलायंस, ओ. एन. जी. सी. तथा एल एंड टी सम्मिलित हैं।
गत दिनों केयर्न ने इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के परिणामों की घोषणा करते हुए उम्मीद से अधिक लाभ की घोषणा की थी। इस कंपनी द्वारा राजस्थान के मंगला क्षेत्र से उत्पादन को लगभग एक साल पूर्व सवा लाख बैरल तेल प्रतिदिन के स्तर पर पहुँचाया था। इस कंपनी ने 27 सौ करोड़ रुपए से अधिक का सकल लाभ घोषित किया है। राजस्थान के अलावा गुजरात के केम्ब बेसिन में और आन्ध्र प्रदेश के राव क्षेत्र से भी यह कंपनी उत्पादन कर रही है।

क्या है सुपर ब्रांड-

व्यवसाय की एक विशिष्ठ अवधारणा के रूप में सन् 1993 में सुपर ब्रांड की शुरुआत की गयी थी तथा ये उन ब्रांड्स को आमंत्रण के आधार पर चयनित करता है जो सबसे अधिक प्रभावी हैं और उद्योग जगत के साथ समाज में अपना प्रभाव रखते हैं। वर्तमान में सुपर ब्रांड एक बहुराष्ट्रीय प्रकल्प के रूप में विकसित हो चुका है और इसकी उपस्थिति अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और एशिया के 86 देशों में है। भारत में सुपर ब्रांड 2003 में पहुंचा और यहाँ चयन के लिए कड़ी प्रक्रिया अपनाई जाती है। उपभोक्ता, व्यवसाय और लक्जरी श्रेणी में दुनिया के सबसे जाने-माने सुपर ब्रांड्स की विशिष्ठ जमात में शामिल होने के लिए कडे मापदंडों का इस्तेमाल होता है तथा केवल आमंत्रण के द्वारा ही इस खिताब को प्राप्त किया जा सकता है। सुपर ब्रांड के लिए आवेदन या स्व नामांकन नहीं किया जाता बल्कि सबसे प्रभावी ब्रांड्स को विशेषज्ञों द्वारा चयनित किया जाता है।


विशेष पिछड़ा वर्ग के लिये 41 छात्रावास इसी शैक्षणिक सत्र से

5 अगस्त को मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने विशेष पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए राज्य में प्रारंभ की गई देवनारायण योजना के तहत 200 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज के अन्तर्गत 41 छात्रावासों को इसी शैक्षणिक सत्र से किराए के भवनों में चलाने की अनुमति प्रदान की है।
इसके साथ ही विशेष पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए छात्रावासों के संचालन पर इस वित्तीय वर्ष में 5 करोड़ 50 लाख रुपए की स्वीकृति भी दी है।
इस विशेष पैकेज के तहत बूंदी, अजमेर, करौली, एवं पाली में तीन-तीन, जयपुर, भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, टौंक, भीलवाड़ा, जालौर एवं सिरोही में दो-दो, धौलपुर, अलवर, चित्तौडगढ़, राजसमन्द, सीकर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, नागौर, झालावाड़, बारां, कोटा एवं बाडमेर में एक-एक छात्रावास खोला जाना अनुमोदित किया गया है।


भारत की सुनीता कृष्णन को वाइटल वायसेज ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार

भारत हैदराबाद की सुनीता कृष्णन को वाइटल वायसेज ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार 2010 के मानवाधिकार सम्मान से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान अमेरिका के कनेडी सेंटर में 13 अप्रैल 2011 को दिया गया। इस क्रम में यह 10 वां वार्षिक पुरस्कार है। सुनीता कृष्णन को यह सम्मान भारत में महिलाओं एवं लड़कियों की तस्करी के विरुद्ध किए गए योगदान के लिए दिया गया। आंध्रप्रदेश के हैदराबाद की सुनीता गैर सरकारी संस्था प्राज्ज्वला की सहसंस्थापक है।

पावरलूम को प्रोत्साहन देने के लिए निवेश संवर्धन पैकेज

राज्य सरकार ने जोधपुर, पाली और बाड़मेर जिलों में पावरलूम क्षेत्र में नए उद्यमों में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए पैकेज की घोषणा की है। राजस्थान निवेश संवर्धन स्कीम -2010 के खंड 15 के तहत उक्त जिलों में लगने वाले नए पॉवरलूम उद्यमों को पैकेज दिया जाएगा। वित्त विभाग ने पिछले माह एक आदेश इस संबंध में जारी किया है। पैकेज तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा और यह 30 अगस्त, 2020 तक लागू रहेगा। इस आदेश की प्रमुख बातें निम्नांकित हैं-

>राज्य सरकार के आदेश के अनुसार यह पैकेज पावरलूम क्षेत्र में स्थापित होने वाले नए उद्यमों के लिए ही मान्य होगा।

> इसमें यह शर्त भी है कि ऐसे उद्यमों को वाणिज्यिक उत्पादन 31 अगस्त, 2013 तक प्रारंभ करना होगा।

> इस पैकेज में अधिसूचित जोधपुर, पाली और बाड़मेर जिलों में नए पावर लूम उद्यमों को स्थापित करने पर ही दिया जाएगा।

> इन जिलों में नए पावरलूम इकाइयों को विद्युत शुल्क, जमीन पर टैक्स, जमीन खरीदने या लीज पर लेने पर स्टॉप शुल्क में छूट दी प्रदान की जाएगी। यह छूट राजस्थान निवेश संवर्धन स्कीम- 2010 के तहत दी जाएगी।

> पैकेज के तहत पात्र पॉवरलूम उद्यमों को वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने के बाद से सात वर्ष तक सूती धागे पर मौजूदा मूल्य वर्धित कर (वैट) की दरों में 80 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी।

> वे उद्यम जौ पैकेज के तहत लाभ प्राप्त करेंगे, उन्हें आरआईपीएस- 2010 की शर्तों का पालन करना होगा।

> ऐसे उद्यम जो पैकेज का फायदा उठा रहे है वे आरआईपीएस- 2010 के तहत मिलने वाले अन्य लाभ नहीं ले सकेंगे।

> उद्यमों को टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड (टीयूएफ) के तहत अनिवार्य रूप से पंजीयन कराना होगा।

> इसके अलावा उद्यमों को कम से कम 25 लाख रुपए का निवेश करने के साथ न्यूनतम 10 कर्मचारियों को रखना होगा।

> इन उद्यमों को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जीरो डिस्चार्ज प्रमाण पत्र भी लेना होगा।

राज्य स्तरीय परिवार कल्याण प्रोत्साहन पुरस्कार 2010-11

विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई के अवसर पर जयपुर में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री ए.ए.खान (दुर्रू मियां) ने परिवार कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए राज्य स्तरीय परिवार कल्याण प्रोत्साहन पुरस्कार 2010-11 वितरित किए।

इसके अंतर्गत राज्य स्तर पर पाली के जिला कलक्टर नीरज के. पवन को प्रथम पुरस्कार के रूप में 30 लाख की राशि का चैक व प्रशस्ति पत्र, बारां जिला कलक्टर नवीन जैन को द्वितीय पुरस्कार के रूप में 20 लाख रुपए व प्रशस्ति पत्र तथा तृतीय पुरस्कार के रूप में चित्तौड़गढ़ के जिला कलक्टर रवि जैन को 10 लाख रुपए के चैक व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने इसी क्रम में पंचायत समिति निम्बाहेडा, सुमेरपुर व तलवाडा को क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने ग्राम पंचायत दौलाडा (बून्दी), सियाखेडी (प्रतापगढ) और मुसालिया (पाली) को भी क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया। परिवार कल्याण के क्षेत्र में ही सरकारी चिकित्सालयों में उल्लेखनीय कार्य करने के उपलक्ष्य में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बडगांव (उदयपुर), निजी चिकित्सा संस्थान के क्षेत्र में गोयल नर्सिंग होम, बारां व गैर सरकारी संगठन की श्रेणी में मेरी स्टोप्स इण्डिया, जयपुर को सम्मानित किया गया


उदयपुर के शिल्पग्राम में लोक औषधि उद्यान प्रारंभ

आदिवासी अंचल में पारंपरिक संस्कृति के अलावा पारंपरिक वैज्ञानिक ज्ञान भी बिखरा पड़ा है। इनमें से एक क्षेत्र है पारंपरिक औषधियों का। आदिवासी अंचल में गाँवों में कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें पारंपरिक लोक औषधियों का विषद् ज्ञान होता है। इन लोगों को "ज्ञानी या गुणी" कहते हैं। आदिवासी अंचल के ज्ञानी तथा गुणियों को इन जड़ी बूटियों के बारे में गहरी जानकारी होती है। उन्हें इन लोक औषधियों के पनपने की परिस्थितियों, उनके औषधीय गुणों व प्रयोग की विधि के बारे में सटीक अनुभव होता है। इन ज्ञानी और गुणियों के पारंपरिक ज्ञान का संग्रह करने तथा इसे प्रकाश में लाने का कार्य कतिपय स्वयंसेवी संस्थाएँ कर रही है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उदयपुर स्थित"पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (वेस्ट जोन कल्चरल सेंटर)" द्वारा 50 दुर्लभ प्रजातियों के साथ अपने हवाला ग्राम स्थित 'शिल्पग्राम' में संभवतः प्रदेश का पहला लोक औषध उद्यान (फोक मेडिसिन गार्डन) विकसित कर उठाया है। यह उद्यान यहां आने वाले पर्यटकों एवं आम जनता को ग्रामीण आदिवासियों तथा अन्य जानकार लोगों के स्वास्थ्य देखभाल तंत्र (हेल्थ केयर सिस्टम) से प्रत्यक्ष करवाने के साथ साथ पारंपरिक जड़ी बूटियों तथा उनसे होने वाले लाभ की भी जानकारी कराएगा। इस उद्यान में लोक औषधियों को उपजाने, विकसित करने, सार - संभाल करने एवं दुर्लभ प्रजातियों की संख्या बढ़ाने का दायित्व भी उन्हीं ग्रामीण जड़ी बूटियों के ज्ञानी और गुणियों को दिया गया है जो इसके अनुभवी हैं। केंद्र निदेशक के अनुसार प्रदेश में लोककलाओं और संस्कृति पर ही अत्यधिक ध्यान दिया गया है, लेकिन फोक मेडिसिन की तरफ किसी का अत्यंत कम ध्यान दिया गया है। उदयपुर से ही इसकी शुरुआत की गई है।
दुर्लभ लोक औषधियों के इस पहले संग्रह के प्रथम चरण में जेट्रोफा, अश्वगंधा, सतावर, गुड़मार, गिलोय, सफेद मूसली आदि विभिन्न जड़ी बूटियां लगा कर यह उद्यान शुरू किया गया है। आगामी दो से तीन माह में इसमें 100 से अधिक दुर्लभ लोक औषधियों को जोड़ दिया जाएगा। इन औषधियों का लाभ स्थानीय लोग भी उठा सकते हैं। इस उद्यान इनसे जुड़ी जानकारी, उनसे होने वाले लाभ, बनाए जाने वाले औषधि तत्व आदि की जानकारी ज्ञानी और गुणियों द्वारा ही दी जाएगी। इस योजना में शिल्पग्राम में एक अलग से विभाग से शुरू किया जाएगा। जहां से पर्यटकों और अन्य निवासियों को इस लोक औषधियों की विस्तृत जानकारी के साथ लाभ भी मिल सकेगा।

राजीव गांधी आवास योजना के अन्तर्गत राजस्थान के छह बड़े शहरों का चयन

शहरी इलाकों को झुग्गी झोपड़ियों से मुक्ति दिलाने और गरीबों को घर देने की मदद के लिए भारत सरकार ने एक लाख से अधिक की आबादी वाले 250 शहरों में महत्त्वाकांक्षी राजीव गांधी आवास योजना के पहले चरण को लागू किया गया है। योजना से झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले तीन करोड़ से अधिक लोगों को फायदा मिलेगा। सरकार ने इन शहरी गरीबों को आवास ऋण उपलब्ध कराने के लिए 1,000 करोड़ रुपए का एक आवास ऋण जोखिम गारंटी कोष बनाने का भी निर्णय किया है। इससे गरीबों को बैंकों से आवास ऋण दिलाने में मदद मिलेगी। योजना में राज्य सरकारों के साथ साथ निजी डेवलपर्स को भी जोड़ा जाएगा। एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत इस योजना में बनने वाले मकानों का संपत्ति अधिकार उनके मालिकों को दिया जाएगा।

प्रदेश में इस योजना के तहत छ: बड़े शहरों जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर एवं उदयपुर का चयन किया गया है तथा इनमें राजीव आवास योजना का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके लिए इन शहरों में कच्ची बस्तियों के सर्वे का कार्य अंतिम चरण में है।

राज्य के इन छह बड़े शहरों को स्लम मुक्त करने के लिए आगामी पांच वर्षों में राज्य कोष पर 2900 करोड़ रू. का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

राज्य के स्वायत्त शासन मंत्री श्री शांति धारीवाल ने दिनांक 30 जुलाई को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राजीव आवास योजना पर राज्यों के शहरी विकास मंत्रियों के सम्मेलन में सुझाव दिया कि राजीव गांधी आवास योजना के लिए एकीकृत आवास एवं स्लम डवलपमेंट (आई.एच.एस.डी.पी.) कार्यक्रम के पैटर्न पर केंद्रीय अंशदान को 50 प्रतिशत बढ़ाकर 80 प्रतिशत किया जाना चाहिए। साथ ही योजना की क्रियान्वति के लिए केंद्र से एक मुश्त राशि देने के अलावा राज्यों को इसे लागू करने के लिए पूरी छूट प्रदान करनी चाहिए।
श्री धारीवाल ने बताया कि राज्य के छह शहरों की स्लम मुक्त नगर योजना बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत 562.30 लाख रू. की राशि में से प्रथम किश्त के रूप में 281.15 लाख रुपए की राशि प्राप्त हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का सपना है कि देश में शिक्षा के अधिकार और खाद्य सुरक्षा आदि के समान ही ‘‘राईट टू शेर्ल्टर’’ कानून भी बने, ताकि देश के हर परिवार को अपना घर सुलभ हो सके।


राजस्थान की योजनाएँ-
जननी शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम

जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिवार नियोजन के साथ साथ शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करना आवश्यक है। शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि प्रसव संस्थागत (अस्पताल में) हो। संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है जिनमें एक "जननी शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम" है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित जानकारी के अनुसार प्रदेश में शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करने के उद्देश्य से शुरू किए गए "जननी शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम" के अन्तर्गत निम्नांकित प्रमुख सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाने का प्रावधान है-

> समस्त गर्भवती महिलाओं को राजकीय चिकित्सा संस्थानों में डिलीवरी के लिए जाने एवं पुनः अपने घर लौटने हेतु निःशुल्क परिवहन व्यवस्था सुलभ कराई जाएगी।

> इस कार्यक्रम में समस्त प्रसूताओं को निःशुल्क दवाइयां, निःशुल्क जांच सुविधा, निःशुल्क रक्त चढ़ाने से संबंधित समस्त जांच व उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।

> सामान्य डिलीवरी की स्थिति में प्रसूताओं एवं नवजात शिशुओं को तीन दिन एवं सिजेरियन डिलीवरी की स्थिति में 7 दिन तक अस्पताल में रखकर निःशुल्क गर्म भोजन भी उपलब्ध कराया जाएगा।

> इसके अंतर्गत नवजात शिशुओं को 30 दिन की अवधि तक राजकीय चिकित्सा संस्थान में लाने-ले जाने के लिए परिवहन, दवा, जांच इत्यादि की निःशुल्क व्यवस्था की जाएगी।

प्रदेश में शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम को पूर्ण गम्भीरता से लागू किया जा रहा है। प्रदेश में शिशु मृत्युदर 65 से कम होकर अब 59 हो गई है। इसमें और कमी लाने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। लगभग दो-तिहाई नवजात शिशुओं की मृत्यु उनके जन्म के 24 घंटे की अवधि में ही हो जाती है। इस समस्या को हल करने का प्रयास इसमें किया जाएगा।

No comments: